ज्वालामुखी क्या है? ये क्यों और कैसे फटते हैं।

ज्वालामुखी से निकलता लावा और धुआं, पृथ्वी की सतह पर ज्वालामुखी विस्फोट का दृश्य
ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान लावा, धुआं और राख का अद्भुत दृश्य। यह दृश्य पृथ्वी की आंतरिक शक्तियों का प्रतीक है।


ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर वह स्थान होता है जहाँ से पृथ्वी के अंदर मौजूद पिघले हुए लावा, गैसें, राख और अन्य पदार्थ बाहर निकलते हैं।

जब पृथ्वी की आंतरिक गर्मी और दबाव किसी क्षेत्र में अत्यधिक बढ़ जाता है, तब सतह फट जाती है और मैग्मा (पिघला हुआ पत्थर) बाहर निकलकर लावा बन जाता है।

यह घटना इतनी शक्तिशाली होती है कि इससे नए पर्वत, द्वीप और भूमि के स्वरूप भी बन जाते हैं।

Note. ज्वालामुखी वह प्राकृतिक द्वार है जिससे पृथ्वी अपनी आंतरिक गर्मी को बाहर निकालती है।


ज्वालामुखी के प्रकार 

वैज्ञानिकों ने ज्वालामुखियों को उनकी सक्रियता के आधार पर तीन मुख्य श्रेणियों में बाँटा है —

1. सक्रिय ज्वालामुखी (Active Volcano)

ऐसे ज्वालामुखी जो समय-समय पर फटते रहते हैं या हाल ही में फटे हैं, उन्हे सक्रिय ज्वालमुखी कहते हैं। और इस प्रकार की ज्वालामुखियों से लगातार लावा और गैसें निकलती रहती हैं।

उदाहरण:

  • इटली का माउंट एटना (Mount Etna)
  • अंडमान निकोबार का बैरन द्वीप ज्वालामुखी

2. सुप्त ज्वालामुखी (Dormant Volcano)

सुप्त ज्वालामुखी वे ज्वालमुखी होते हैं जो लंबे समय से फटे नहीं होते, लेकिन इनमें दोबारा फटने की संभावना रहती है। और इन्हें “Sleeping Volcano” भी कहा जाता है।

उदाहरण:

  • जापान का माउंट फूजी (Mount Fuji)

3. मृत ज्वालामुखी (Extinct Volcano)

मृत ज्वालामुखी वे ज्वालामुखी होते हैं जो हज़ारों वर्षों से निष्क्रिय हैं और जिनके फिर से फटने की संभावना नहीं होती है।

उदाहरण:

 4. पनडुब्बी ज्वालामुखी (Submarine Volcano)

पनडुब्बी ज्वालामुखी समुद्र के अंदर पाए जाते हैं। इनसे निकला लावा समुद्री पर्वत या द्वीप बना सकता है।

उदाहरण:

  • Mariana Trench क्षेत्र के नीचे कई पनडुब्बी ज्वालामुखी पाए जाते हैं।

ज्वालामुखी क्यों फटते हैं? (Causes of Volcano Eruption)

ज्वालामुखी फटने के मुख्य कारण पृथ्वी के अंदर की ऊष्मा, दबाव और प्लेटों की गति (Plate Tectonics) हैं।

1. पृथ्वी की आंतरिक गर्मी और दबाव

  • पृथ्वी के अंदर बहुत अधिक तापमान होता है (लगभग 5000°C तक)।
  • इस गर्मी से चट्टानें पिघल जाती हैं और मैग्मा का निर्माण होता है।
  • जब दबाव बढ़ जाता है, तो वह बाहर निकलने का रास्ता ढूँढता है — यही ज्वालामुखी विस्फोट का कारण बनता है।

2. प्लेट टेक्टॉनिक्स का टकराव (Plate Collision)

जब दो महाद्वीपीय प्लेटें आपस में टकराती हैं या अलग होती हैं, तो उनके बीच से लावा ऊपर की ओर आता है।

इससे पृथ्वी की परतें फट जाती हैं और विस्फोट होता है।

3. गैसों का दबाव

मैग्मा में कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और वाष्प जैसी गैसें होती हैं।

जब ये गैसें बाहर निकलने का मार्ग नहीं पातीं, तो अत्यधिक दबाव बनने से ज्वालामुखी फट जाता है।


ज्वालामुखी कैसे फटते हैं? (Process of Volcano Eruption)

ज्वालामुखी विस्फोट की प्रक्रिया को चार चरणों में समझा जा सकता है —


1. मैग्मा 

पृथ्वी के मेंटल (Mantle) में उच्च तापमान के कारण चट्टानें पिघलती हैं और मैग्मा बनता है।

 2. दबाव का बढ़ना

मैग्मा धीरे-धीरे ऊपर उठता है और सतह के नीचे मैग्मा चैंबर (Magma Chamber) में जमा होता है।

यहाँ दबाव लगातार बढ़ता जाता है।

3. सतह का फटना

जब दबाव सीमा से अधिक बढ़ जाता है, तो पृथ्वी की ऊपरी परत फट जाती है और लावा बाहर निकलता है।

4. लावा का बहाव और राख का उत्सर्जन

लावा के साथ राख, धुआँ, और गैसें वातावरण में फैल जाती हैं।

इसके बाद धीरे-धीरे ठंडा होकर क्रेटर या नई भूमि संरचना बन जाती है।


ज्वालामुखी के प्रमुख भाग (Parts of a Volcano)

1. मैग्मा चैंबर: पिघले हुए लावे का भंडार।

2. वेंट: वह रास्ता जिससे लावा बाहर निकलता है।

3. क्रेटर: ज्वालामुखी के मुंह जैसा खुला भाग।

4. लावा फ्लो: बाहर निकलने वाला गर्म पिघला पदार्थ।

5. कॉन: ज्वालामुखी के चारों ओर बना पहाड़ी आकार।


दुनिया के प्रमुख ज्वालामुखी (Famous Volcanoes in the World)

  • माउंट वेसुवियस ज्वालामुखी: यह ज्वालामुखी इटली में स्थित है और यह आखरी बार  1944 सक्रिय हुआ था।
  • माउंट एटना ज्वालामुखी: यह ज्वालामुखी इटली में स्थित है  और यह लगातार सक्रिय रहता है।
  • माउंट फूजी ज्वालामुखी: यह ज्वालामुखी जापान में स्थित है और यह आखरी बार 1707 में सक्रिय हुआ था।
  • माउंट सेंट हेलेंस ज्वालामुखी: यह ज्वालामुखी अमेरिका में स्थित है और यह आखरी बार  1980 में सक्रिय हुआ था।


भारत के प्रमुख ज्वालामुखी (Volcanoes in India)

भारत में बहुत कम ज्वालामुखी पाए जाते हैं, लेकिन दो प्रसिद्ध उदाहरण हैं —

1. बैरन द्वीप ज्वालामुखी (Barren Island Volcano) —

यह भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है, जो अंडमान सागर में स्थित है। और इसका आखिरी बड़ा विस्फोट 2017 में हुआ था।

2. नरकोंडम ज्वालामुखी (Narcondam Volcano) —

यह अंडमान के पास स्थित एक सुप्त ज्वालामुखी है।


ज्वालामुखी के प्रभाव (Effects of Volcano Eruption)

सकारात्मक प्रभाव:

1. मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है।

2. खनिज और प्राकृतिक संसाधन प्राप्त होते हैं।

3. नए द्वीप या पहाड़ बनते हैं।

4. पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता है।

नकारात्मक प्रभाव:

1. जन-धन की भारी हानि।

2. कृषि भूमि नष्ट हो जाती है।

3. हवा में जहरीली गैसें फैल जाती हैं।

4. जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण बढ़ता है।


ज्वालामुखी से बचाव के उपाय (Precautions and Safety Measures)

1. ज्वालामुखी क्षेत्रों में भूकंपीय अलर्ट सिस्टम लगाना।

2. आपातकालीन निकासी योजना (Evacuation Plan) तैयार रखना।

3. लोगों को सुरक्षा प्रशिक्षण देना।

4. विस्फोट के समय मास्क, हेलमेट और सुरक्षात्मक वस्त्र पहनना।

5. प्रभावित क्षेत्रों में राहत और पुनर्वास की व्यवस्था।


निष्कर्ष (Conclusion)

ज्वालामुखी प्रकृति की सबसे शक्तिशाली घटनाओं में से एक है।यह जहाँ विनाशकारी प्रभाव डालता है, वहीं नई भूमि और उपजाऊ मिट्टी भी प्रदान करता है। इसे समझना और इससे सीखना हमारी पृथ्वी की आंतरिक प्रक्रिया को जानने का महत्वपूर्ण माध्यम है।

ज्वालामुखी हमें याद दिलाते हैं कि पृथ्वी एक जीवंत और गतिशील ग्रह है।


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