मानव भूगोल क्या है: परिभाषा, अर्थ, महत्त्व, शाखाएं, प्रश्न उत्तर
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| मानव भूगोल – मनुष्य और पर्यावरण के बीच संबंधों का अध्ययन, इसकी परिभाषा, महत्त्व और प्रमुख शाखाएँ। |
मनुष्य हमेशा से ही अपने आसपास के प्राकृतिक वातावरण से जुड़ा रहा है। क्योंकी जहाँ एक ओर नदियाँ, पहाड़, जलवायु और मिट्टी जैसी भौगोलिक परिस्थितियाँ मानव जीवन को प्रभावित करती हैं, वहीं दूसरी ओर मानव ने भी अपने ज्ञान, तकनीक और परिश्रम से प्रकृति को बदलने की कोशिश की है। यही संबंध मानव और प्रकृति के बीच की जटिलता को दर्शाता है, और इसी का अध्ययन मानव भूगोल के अंतर्गत किया जाता है।
जब हम केवल प्राकृतिक घटनाओं जैसे पर्वत, नदियाँ, समुद्र, जलवायु आदि का अध्ययन करते हैं, तो उसे भौतिक भूगोल कहा जाता है। इसके विपरीत जब हम देखते हैं कि इंसान किस तरह इन भौगोलिक परिस्थितियों का उपयोग करके अपने जीवन, समाज, संस्कृति और अर्थव्यवस्था को विकसित करता है, तो वह अध्ययन मानव भूगोल कहलाता है।
मानव भूगोल हमें यह समझने में मदद करता है कि अलग-अलग क्षेत्रों में लोग किस तरह रहते हैं, उनकी जीवनशैली कैसी है, वे किस प्रकार की आर्थिक गतिविधियों में संलग्न हैं और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किस तरीके से करते हैं।
उदाहरण – रेगिस्तान में रहने वाले लोग जल की कमी के अनुसार अपनी जीवनशैली ढाल लेते हैं, जबकि वहीं पर्वतीय क्षेत्रों के लोग ठंड और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप अलग तरह का जीवन जीते हैं।
इस प्रकार, मानव भूगोल न केवल मनुष्य और पर्यावरण के बीच के संबंधों को अध्ययन करता है, बल्कि यह भी बताता है कि समय के साथ मानव समाज किस तरह परिवर्तित हुआ है और आगे किन-किन चुनौतियों का सामना कर सकता है। आधुनिक समय में जब पूरी दुनिया ग्लोबलाइजेशन और तकनीकी प्रगति के दौर से गुजर रही है, तब मानव भूगोल का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है, क्योंकि यह हमें वैश्विक समस्याओं जैसे जनसंख्या विस्फोट, शहरीकरण, पर्यावरण प्रदूषण और संसाधनों की कमी को समझने में मदद करता है।
मानव भूगोल की परिभाषा
सरल शब्दों में, मानव भूगोल वह शास्त्र है जो पृथ्वी की सतह पर फैले हुए मानव समाज, उनकी गतिविधियों, संस्कृति, अर्थव्यवस्था और जीवनशैली का अध्ययन करता है। यह हमें यह बताता है कि किस प्रकार इंसान विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में रहकर अपनी सभ्यता और संस्कृति का विकास करता है।
विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाएँ
1. फ्रेडरिक रैट्ज़ल (Friedrich Ratzel) – इनका कहना है कि “मानव भूगोल, मनुष्य और पृथ्वी के बीच संबंधों का अध्ययन है।”
2. एलन कैर (Ellen C. Semple) – इनका कहना है कि “मानव भूगोल यह स्पष्ट करता है कि भौगोलिक परिस्थितियाँ मानव के जीवन, क्रियाओं और संस्कृति को किस हद तक प्रभावित करती हैं।”
3. पॉल विदाल डी ला ब्लाश (Paul Vidal de la Blache) – इनका कहना है कि “मानव भूगोल मनुष्य की सृजनात्मकता और पर्यावरण के अनुकूलन का अध्ययन है।”
मानव भूगोल का अर्थ
मानव भूगोल का अर्थ समझने के लिए हमें इन दोनों शब्दों मानव और भूगोल को समझना होगा।
मानव शब्द से आशय है – इंसान, उसका समाज, उसकी संस्कृति, उसकी आर्थिक गतिविधियाँ और जीवनशैली।
भूगोल शब्द का शाब्दिक अर्थ है – "पृथ्वी का वर्णन" या "पृथ्वी का अध्ययन"।
इस प्रकार जब हम इन दोनों शब्दों को मिलाते हैं तो मानव भूगोल का अर्थ निकलता है – पृथ्वी की सतह पर फैले हुए मानव और उसके समाज का अध्ययन, जिसमें मानव और पर्यावरण के बीच के संबंधों को समझा जाता है।
मानव भूगोल का मूल उद्देश्य यह जानना है कि –
विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों (जैसे जलवायु, स्थलाकृति, नदियाँ, समुद्र, मिट्टी आदि) के अनुसार मनुष्य किस प्रकार अपनी जीवनशैली को ढालता है। और कैसे मनुष्य अपनी बुद्धि और तकनीक का उपयोग करके इन प्राकृतिक परिस्थितियों को बदलता है और उन्हें अपने अनुकूल बनाता है।
किस प्रकार मानव समाज, संस्कृति, कृषि, उद्योग, परिवहन, संचार और व्यापार जैसी गतिविधियाँ अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग रूप धारण करती हैं।
उदाहरण:
1. ठंडे क्षेत्रों में लोग गर्म कपड़े पहनते हैं, लकड़ी के घर बनाते हैं और भोजन में अधिक कैलोरी वाले पदार्थों का उपयोग करते हैं।
2. रेगिस्तानी क्षेत्रों में लोग पानी की कमी के अनुसार अपनी जीवनशैली ढाल लेते हैं, जैसे – ऊँट का प्रयोग परिवहन के लिए करना।
3. वहीं, नदियों के किनारे बसे क्षेत्रों में कृषि और व्यापार का विकास तेजी से होता है।
मानव भूगोल का महत्त्व
मानव भूगोल केवल इंसान और उसके पर्यावरण के संबंधों को समझने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें समाज, संस्कृति, अर्थव्यवस्था और विकास की दिशा में भी गहन जानकारी प्रदान करता है। यह समझने में मदद करता है कि पृथ्वी के अलग-अलग हिस्सों में इंसान किस प्रकार रहते हैं, काम करते हैं और अपनी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
मानव भूगोल का महत्व निम्नलिखित बिंदुओं में स्पष्ट किया जा सकता है –
1. जनसंख्या अध्ययन में महत्त्व
मानव भूगोल हमें जनसंख्या के वितरण, घनत्व, वृद्धि और प्रवासन (Migration) के पैटर्न को समझने में मदद करता है। यह बताता है कि कौन-से क्षेत्र जनसंख्या के लिए उपयुक्त हैं और किन क्षेत्रों में रहने के लिए चुनौतियाँ हैं।
2. संसाधनों के उपयोग में
यह हमें यह ज्ञान देता है कि प्राकृतिक संसाधनों (जैसे जल, भूमि, वन, खनिज आदि) का किस प्रकार उपयोग किया जाए ताकि उनका संतुलित और टिकाऊ विकास हो सके।
3. कृषि और उद्योग के विकास में
मानव भूगोल कृषि पद्धतियों और औद्योगिक क्षेत्रों के विकास की जानकारी प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, किस प्रकार जलवायु और मिट्टी की विशेषताओं के आधार पर फसलों की खेती की जाती है और उद्योगों का स्थान तय होता है।
4. संस्कृति और समाज की समझ में
यह हमें यह जानने में मदद करता है कि विभिन्न क्षेत्रों की संस्कृतियाँ, परंपराएँ और जीवनशैली कैसे विकसित होती हैं। मानव भूगोल सामाजिक विविधता और सांस्कृतिक पहचान को समझने का साधन है।
5. शहरीकरण और ग्रामीण विकास में
यह हमें यह बताता है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का विकास किस प्रकार हो रहा है, जनसंख्या किस दिशा में बढ़ रही है और शहरों की क्या चुनौतियाँ हैं जैसे – ट्रैफिक, प्रदूषण, रोजगार आदि।
6. राजनीतिक और आर्थिक निर्णयों में
मानव भूगोल सरकार और नीति-निर्माताओं को सही दिशा देने में मदद करता है। जैसे – नई सड़कों का निर्माण कहाँ होना चाहिए, औद्योगिक क्षेत्र कहाँ स्थापित किए जाएँ, किस इलाके में स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधाएँ अधिक आवश्यक हैं।
7. पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान में
आज की दुनिया प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। मानव भूगोल इन समस्याओं के कारणों और प्रभावों का विश्लेषण करता है तथा समाधान सुझाता है।
8. वैश्विक संबंधों को समझने में
मानव भूगोल यह भी बताता है कि किस प्रकार वैश्विक व्यापार, संचार और तकनीकी विकास ने देशों और समाजों को आपस में जोड़ दिया है।
मानव भूगोल की शाखाएँ
मानव भूगोल को कई शाखाओं में बाँटा गया है। इन शाखाओं को समझने से हमें यह पता चलता है कि किस प्रकार अलग-अलग दृष्टिकोण से मानव और पर्यावरण का अध्ययन किया जाता है।
1. आर्थिक भूगोल (Economic Geography)
यह शाखा इस बात का अध्ययन करती है कि मनुष्य किस प्रकार आर्थिक गतिविधियाँ करता है।
और इस शाखा में कृषि, खनन, उद्योग, व्यापार, परिवहन और सेवा क्षेत्र का अध्ययन शामिल है।
उदाहरण:
- कौन-सी फसलें किस जलवायु में उगाई जाती हैं।
- उद्योगों को किन स्थानों पर स्थापित किया जाना चाहिए।
- और व्यापार करने के लिए मार्गो को विकसित करना।
2. जनसंख्या भूगोल (Population Geography)
यह शाखा जनसंख्या से संबंधित पहलुओं का अध्ययन करती है।
जैसे – जनसंख्या का वितरण, घनत्व, वृद्धि दर, जन्म दर, मृत्यु दर और प्रवासन।
उदाहरण: भारत में गंगा के मैदानी भाग में जनसंख्या घनी क्यों है, जबकि रेगिस्तानी क्षेत्र में विरल क्यों है।
3. सामाजिक भूगोल (Social Geography)
यह शाखा मानव समाज और उसकी सामाजिक संरचनाओं का अध्ययन करती है।
इसमें जाति, वर्ग, लिंग, भाषा, धर्म और शिक्षा जैसी सामाजिक विशेषताओं का विश्लेषण किया जाता है।
उदाहरण: किसी क्षेत्र की सामाजिक विविधता या वहाँ की जीवनशैली कैसी है।
4. सांस्कृतिक भूगोल (Cultural Geography)
यह शाखा मानव संस्कृति के अध्ययन पर केंद्रित है।
इसमें रीति-रिवाज, परंपराएँ, कला, साहित्य, खान-पान और पहनावे जैसी चीज़ों का अध्ययन किया जाता है।
उदाहरण: इस शाखा में भारत के अलग-अलग राज्यों की वेशभूषा और भोजन में अंतर का अध्ययन किया जाता है।
5. राजनीतिक भूगोल (Political Geography)
यह शाखा राजनीति और भौगोलिक परिस्थितियों के संबंध का अध्ययन करती है।
इसमें देशों की सीमाएँ, राज्यों का गठन, युद्ध, अंतरराष्ट्रीय संबंध और शक्ति संतुलन जैसे विषय शामिल हैं।
उदाहरण: इस शाखा में भारत-पाकिस्तान सीमा विवाद या समुद्री सीमाओं पर संघर्ष और अगर कोई दुसरे देश से विवाद या युद्ध चल रहा है तो उसका अध्ययन करना।
6. शहरी भूगोल (Urban Geography)
इस शाखा में शहरों और महानगरों का अध्ययन करता किया जाता है।
इसमें शहरीकरण की प्रक्रिया, शहरों का फैलाव, यातायात की समस्या, प्रदूषण और रोजगार जैसी चुनौतियों का विश्लेषण किया जाता है।
उदाहरण: दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में तेज शहरीकरण के कारण बढ़ती समस्याएँ।
7. ग्रामीण भूगोल (Rural Geography)
इस शाखा में गाँवों और ग्रामीण जीवन का अध्ययन किया जाता है।
इसमें कृषि व्यवस्था, ग्रामीण बस्तियाँ, किसानों की समस्याएँ और ग्रामीण विकास से जुड़े पहलुओं का अध्ययन किया जाता है।
उदाहरण: भारत के ग्रामीण इलाकों में खेती पर निर्भरता और बाढ़-सुखाड़ जैसी समस्याएँ।
8. ऐतिहासिक भूगोल (Historical Geography)
यह शाखा इस बात का अध्ययन करती है कि इतिहास के दौरान मानव और पर्यावरण के बीच कैसा संबंध रहा है।
इसमें पुराने समय की सभ्यताओं, बस्तियों, मार्गों और युद्धों का भौगोलिक दृष्टिकोण से अध्ययन होता है।
उदाहरण: हड़प्पा सभ्यता का विकास नदी घाटियों में क्यों हुआ।
9. परिवहन एवं संचार भूगोल (Transport and Communication Geography)
यह शाखा मानव के परिवहन और संचार साधनों का अध्ययन करती है।
इसमें सड़क, रेल, वायु और जल मार्गों के साथ-साथ इंटरनेट और मोबाइल जैसी तकनीकों की भूमिका को भी देखा जाता है।
उदाहरण: भारत में रेल नेटवर्क का विकास या डिजिटल इंडिया अभियान का प्रभाव।
मानव भूगोल और भौतिक भूगोल के मध्य संबंध
मानव भूगोल और भौतिक भूगोल दोनों ही भूगोल की महत्वपूर्ण शाखाएँ हैं। इन दोनों का आपस में गहरा संबंध है, क्योंकि पृथ्वी पर मानव जीवन और उसकी गतिविधियाँ भौतिक परिस्थितियों से प्रभावित होती हैं, और दूसरी ओर मानव भी भौतिक पर्यावरण को बदलता है। इसे हम इस प्रकार समझ सकते हैं:
1. आधारभूत संबंध
- भौतिक भूगोल पृथ्वी की प्राकृतिक संरचना और प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है जैसे – स्थलरूप, जलवायु, मिट्टी, जलस्रोत और प्राकृतिक वनस्पति।
- मानव भूगोल मानव समाज, उसकी संस्कृति, अर्थव्यवस्था और गतिविधियों का अध्ययन करता है।
- दोनों मिलकर यह बताते हैं कि मनुष्य किस प्रकार प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करता है और पर्यावरण से तालमेल बैठाता है।
2. पर्यावरण और मानव जीवन
- भौतिक भूगोल से हमें यह पता चलता है कि किसी क्षेत्र में जलवायु, मिट्टी और स्थलाकृति कैसी है।
- मानव भूगोल बताता है कि इन परिस्थितियों में मनुष्य किस प्रकार की खेती करेगा, कौन-सी बस्तियाँ बसाएगा और किस प्रकार का जीवन-यापन करेगा।
3. परस्पर प्रभाव
- भौतिक भूगोल मानव को प्राकृतिक संसाधन और जीवन के लिए आधार प्रदान करता है।
- मानव भूगोल यह दर्शाता है कि मनुष्य अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इन संसाधनों का उपयोग या दोहन किस प्रकार करता है।
उदाहरण:
- नदी घाटियों की उपजाऊ मिट्टी के कारण यहाँ घनी आबादी और कृषि (मानव भूगोल) का विकास हुआ।
- शुष्क मरुस्थलों की जलवायु ने यहाँ के निवासियों को पशुपालन और खानाबदोश जीवन की ओर प्रेरित किया (मानव भूगोल)।
- पर्वतीय क्षेत्र की कठिन स्थलाकृति परिवहन, बस्तियों और जीवनशैली (मानव भूगोल) को प्रभावित करती है।
मानव भूगोल के प्रमुख सिद्धांत
1. नियतिवाद
इस सिद्धांत के अनुसार मनुष्य का जीवन पूरी तरह प्रकृति और भौगोलिक परिस्थितियों द्वारा नियंत्रित होता है। इसका समर्थन जर्मन विद्वान फ्रेडरिक रैट्ज़ल और उनकी शिष्या एलन सी. सेम्पल ने किया हहै। इनके अनुसार मनुष्य प्रकृति का दास है। अर्थात् जहाँ जैसा वातावरण होगा, वहाँ के लोग उसी के अनुसार जीवन व्यतीत करेंगे।
उदाहरण:
- रेगिस्तानी क्षेत्रों में लोग ऊँट का उपयोग परिवहन के लिए करते हैं और पानी की कमी के अनुसार जीवन ढालते हैं।
- ठंडे क्षेत्रों में लोग लकड़ी के घर और गर्म कपड़े अपनाते हैं।
- पर्वतीय क्षेत्रों में सीमित कृषि और कठिन जीवन पाया जाता है।
Note. सरल शब्दों में, नियतिवाद कहता है कि मनुष्य प्रकृति पर पूरी तरह निर्भर है और उसके खिलाफ कुछ नहीं कर सकता।
2. संभववाद
इस सिद्धांत का प्रतिपादन फ्रांस के विद्वान पॉल विदाल डी ला ब्लाश ने किया है। इनके अनुसार, प्रकृति केवल सीमाएँ तय करती है, लेकिन मनुष्य अपनी बुद्धि और तकनीक से उन सीमाओं को पार कर सकता है। प्रकृति हमें केवल “संभावनाएँ” देती है, लेकिन उनका उपयोग कैसे करना है यह मनुष्य पर निर्भर करता है।
उदाहरण:
- रेगिस्तान में नहरें बनाकर और ट्यूबवेल लगाकर खेती संभव बनाना।
- समुद्र पर पुल बनाना और जहाजरानी करना।
- बंजर भूमि को तकनीक से उपजाऊ खेत में बदलना।
Note. सरल भाषा में कहा जाए तो, संभववाद कहता है कि प्रकृति बाधाएँ खड़ी करती है, लेकिन मनुष्य उन्हें पार कर सकता है।
3. नव-नियतिवाद
इस सिद्धांत को ग्रिफिथ टेलर ने प्रस्तुत किया। इन्होंने संतुलित दृष्टिकोण को अपनाया। इनके अनुसार, न तो मनुष्य पूरी तरह प्रकृति का दास है और न ही पूरी तरह स्वतंत्र। मनुष्य केवल उतना ही कर सकता है जितना प्रकृति उसे अनुमति देती है।
उदाहरण:
- हम नदी पर पुल बना सकते हैं, लेकिन नदी को समाप्त नहीं कर सकते।
- हम पर्वत पर सड़क बना सकते हैं, लेकिन पहाड़ को पूरी तरह हटा नहीं सकते।
- हम जलवायु के अनुसार जीवनशैली बदल सकते हैं, लेकिन मौसम को अपनी इच्छा से नियंत्रित नहीं कर सकते।
Note. सरल शब्दों में, नव-नियतिवाद कहता है कि मनुष्य और प्रकृति दोनों बराबर महत्त्व रखते हैं, और उनके बीच तालमेल होना जरूरी है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- नियतिवाद - प्रकृति ही सबकुछ है।
- संभववाद - मनुष्य प्रकृति को बदल सकता है।
- नव-नियतिवाद - न प्रकृति पूरी तरह हावी है, न मनुष्य; दोनों का संतुलन आवश्यक है।
प्रतियोगी परीक्षा में पूछे जाने वाले 10 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. नियतिवाद, संभावनावाद और नव-नियतिवाद में क्या अंतर है?
उत्तर:
नियतिवाद: मनुष्य पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर है।
संभावनावाद: प्रकृति सीमाएँ तय करती है, लेकिन मनुष्य तकनीक से उन्हें बदल सकता है।
नव-नियतिवाद: मनुष्य और प्रकृति के बीच संतुलन जरूरी है, दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
प्रश्न 2. मानव भूगोल किसे कहा जाता है?
उत्तर: मानव भूगोल भूगोल की वह शाखा है जिसमें मनुष्य और उसके पर्यावरण के बीच पारस्परिक संबंधों का अध्ययन किया जाता है। इसमें यह देखा जाता है कि प्राकृतिक परिस्थितियाँ मानव जीवन को कैसे प्रभावित करती हैं और मनुष्य किस प्रकार अपनी आवश्यकताओं के अनुसार वातावरण को बदलता है।
प्रश्न 3. मानव भूगोल का जनक किसे माना जाता है?
उत्तर: फ्रांस के विद्वान पॉल विदाल डी ला ब्लाश को मानव भूगोल का जनक माना जाता है। उन्होंने यह बताया कि मानव केवल प्रकृति का दास नहीं है, बल्कि वह अपनी बुद्धि और तकनीक से पर्यावरण का उपयोग अपनी सुविधा के अनुसार करता है।
प्रश्न 4. मानव भूगोल की मुख्य शाखाएँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर: मानव भूगोल की प्रमुख शाखाएँ हैं – जनसंख्या भूगोल, आर्थिक भूगोल, राजनीतिक भूगोल, सांस्कृतिक भूगोल, शहरी भूगोल, ग्रामीण भूगोल, सामाजिक भूगोल और चिकित्सा भूगोल।
प्रश्न 5. राजनीतिक भूगोल किसका अध्ययन करता है?
उत्तर: राजनीतिक भूगोल देशों की सीमाओं, राज्यों के गठन, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों, भू-राजनीतिक संघर्षों और प्रशासनिक इकाइयों का अध्ययन करता है। यह समझाता है कि भूगोल राजनीतिक संरचना को कैसे प्रभावित करता है।
प्रश्न 6. मानव भूगोल और प्राकृतिक भूगोल में क्या अंतर है?
उत्तर: प्राकृतिक भूगोल में स्थलरूप, जलवायु, मिट्टी और जल जैसे प्राकृतिक तत्वों का अध्ययन किया जाता है, जबकि मानव भूगोल में मनुष्य की गतिविधियों और उनके पर्यावरण से संबंधों का अध्ययन होता है।
प्रश्न 7. “मनुष्य प्रकृति का दास है” – इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य की गतिविधियाँ पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर हैं। जहाँ जैसी जलवायु, संसाधन और भू-आकृति होती है, वहीं के लोग उसी के अनुसार जीवन बिताते हैं। यही विचार नियतिवाद सिद्धांत का आधार है।
प्रश्न 8. शहरी भूगोल की परिभाषा दीजिए।
उत्तर: शहरी भूगोल भूगोल की वह शाखा है जिसमें नगरों की संरचना, नगरीकरण, नगर नियोजन और शहरों से संबंधित समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 9. ग्रामीण भूगोल का अध्ययन किस पर केंद्रित है?
उत्तर: ग्रामीण भूगोल गाँवों की संरचना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि, ग्राम विकास और ग्रामीण जीवन से संबंधित गतिविधियों का अध्ययन करता है।
प्रश्न 10. चिकित्सा भूगोल क्या है?
उत्तर: चिकित्सा भूगोल में स्वास्थ्य, बीमारियों के फैलाव, उनके कारण और प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। इसमें जलवायु, प्रदूषण और जीवनशैली का स्वास्थ्य पर प्रभाव भी देखा जाता है।
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