भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन कौन से हैं -

 भारत एक बहुत बड़ा देश है जिसकी भौगोलिक स्थिति अनेक बातो पर निर्भर करती है जैसे - ऊंचाई ,समुद्र से दूरी, और पवन प्रणाली आदि। भारत की जलवायु विविधताओं से भरी हुई है उत्तर में बर्फीली ठंड से लेकर दक्षिण में भूषण कटिबंधीय गर्मी तक यहां की जलवायु मुख्य रूप से मानसून आधारित होती है लेकिन इसके पीछे कई भौगोलिक और प्राकृतिक कारण होते हैं इस लेख में हम जानेंगे कि भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं-

भारत की भौगोलिक स्थिति और अक्षांशीय स्थान

भारत 8°4' उत्तर अक्षांश से 37°6' तक फैला हुआ है यह भूमध्य रेखा के उत्तर में स्थित है जिससे क्या उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र में आता है इस कारण यहां गर्मी अधिक रहती है और सूर्य की किरणें सीधी पड़ती है जिसे वर्ष भर तापमान अधिक रहता है

समुद्र से दूरी

समुद्र से दूरी का तात्पर्य यह है कि भारत के पश्चिमी और पूर्वी किनारे समुद्र से लगे हुए हैं जबकि उत्तर और मध्य भाग भूमि से घिरे हुए हैं और जो क्षेत्र समुद्र से सटे हैं जैसे मुंबई और चेन्नई इन क्षेत्रों में जलवायु नम और संतुलित रहती है अर्थात यहां की जलवायु ना तो अत्यधिक गर्म रहती है और ना ही अत्यधिक ठंडी रहती है इसलिए यहां की जलवायु संतुलित रहती है।

और जो भाग आंतरिक अथवा भूमि से घिरे हुए हैं जैसे -  दिल्ली और मध्य प्रदेश इन स्थानों के तापमान में अधिक उत्तर चढ़ा होता है क्योंकि ये स्थान महाद्वीपीय जलवायु से प्रभावित होते हैं 

पर्वत श्रृंखलाएं विशेष रूप से हिमालय के लिए 

 हिमालय पर्वत भारत की जलवायु में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकी यह उत्तर दिशा से को भी ठंडी हवाएं आती हैं उन्हे भारत में आने से रोकता है। इसीलिए भारत अपेक्षाकृत गर्म रहता है और साथ ही हिमालय से आने वाली मानसूनी हवाओं को रोक रहता है जिसके कारण भारत के उत्तरी भागों में वर्षा होती है

पवन प्रणाली 

भारत की जलवायु दो प्रकार की होती है

दक्षिण पश्चिम मानसून (जून-सितंबर)

ये हवाएं जून और सितंबर के महीने में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से नमी लेकर आती हैं और अधिकांश भारत में वर्षा करती हैं

उत्तर पूर्व मानसून (अक्टूबर-सितंबर)

ये हवाएं अक्टूबर और सितंबर के महीनों में शुष्क होती है और मुख्यतः दक्षिण भारत के कुछ भागों जैसे तमिलनाडु में वर्षा करती हैं

ऊंचाई और स्थलाकृति

भारत में पहाड़ पत्थर और मैदान सभी प्रकार की स्थलाकृतियां पाई जाती हैं- 

ऊंचाई बढ़ने पर तापमान कम हो जाता है अर्थात् जब हम किसी पहाड़ी क्षेत्र में जाते हैं तो वहां तापमान कम रहता है इसलिए शिमला मनाली जैसे ऊंचाई वाले स्थान पर ठंड अधिक होती है जबकि समतल मैदानी क्षेत्र में गर्मी होती है।

समुद्री धाराएं

समुद्री धाराएं भी जलवायु को प्रभावित करती हैं गर्म और ठंडी समुद्री धाराएं तटीय क्षेत्र के तापमान और वर्षा पर प्रभाव डालती हैं

 साथ ही एल नीनो और नीना जैसी घटनाएं भारतीय मानसून पर गहरा प्रभाव डालते हैं

वनस्पति और भूमि की प्रकृति

वनस्पति और भूमि की प्रकृति से तात्पर्य है की घने जंगल और हरियाली वाले क्षेत्र अधिक नमी बनाए रखते हैं जिसके कारण वहां की जलवायु ठंडी और नम रहती है 

उदाहरण: पश्चिमी घाट पूर्वोत्तर भारत 

दूसरी ओर रेगिस्तानी क्षेत्र जैसे राजस्थान में शुष्क और गर्म जलवायु होती है 

मानव गतिविधियों

बढ़ता शहरीकरण औद्योगिक करण और वनों की कटाई भी जलवायु को प्रभावित कर रहे हैं क्योंकी इन गतिविधियों से स्थानीय जलवायु में परिवर्तन तापमान वृद्धि और वर्षा के पैटर्न में बदलाव देखा जा रहा है

निष्कर्ष

भारत की जलवायु बहुआयामी है और इसे प्रभावित करने वाले कारक कई हैं 

भौगोलिक स्थिति समुद्र से दूरी, पर्वत, हवाएं, ऊंचाई और मानवीय गतिविधियां सभी मिलकर भारत की जलवायु को अनोखा और विविधता पूर्ण बनाती हैं इस विविधता का असर भारत की कृषि जीवन शैली वेश भूसा और आर्थिक गतिविधियों पर सीधा पड़ता 

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