गुलाम वंश का संस्थापक कौन था सम्पूर्ण जानकारी UPSC Notes
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| गुलाम वंश का संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक – UPSC Notes के लिए महत्वपूर्ण जानकारी |
दिल्ली सल्तनत भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो दिल्ली सल्तनत का पहला राजवंश गुलाम वंश था और गुलाम वंश को ममलुक वंश भी कहा जाता है इस वंश की स्थापना 1206 ईस्वी में कुतुबुद्दीन ऐबक ने की थी। इसलिए कुतुबुद्दीन ऐबक को गुलाम वंश का संस्थापक कहा जाता है।
लेकिन कुतुबुद्दीन ऐबक गुलाम वंश का संस्थापक ऐसे ही नहीं बना। कुतुबुद्दीन ऐबक को दिल्ली की गद्दी तक पहुंचने की कहानी मोहम्मद गौरी से जुड़ी हुई है। क्योंकि कुतुबुद्दीन ऐबक मोहम्मद गौरी का गुलाम था और मोहम्मद गौरी ने भारत में मुस्लिम स्थापना की नींव रखी थी।
कुतुबुद्दीन ऐबक कौन था।
कुतुबुद्दीन ऐबक का जन्म लगभग 1150 ई के आसपास तुर्किस्तान में हुआ था। कुतुबुद्दीन ऐबक का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ लेकिन किस्मत ने उसे गुलामी के रास्ते पर भेज दिया कुतुबुद्दीन ऐबक का जीवन बहुत ही संघर्षों और कठिनाइयों से भरा हुआ था।
कुतुबुद्दीन ऐबक गुलाम कैसे बना?
कुतुबुद्दीन ऐबक का बचपन बहुत कम ही सुख में रहा। जब वह छोटा था तभी उसका परिवार आर्थिक तंगी में आ गया और उसे गुलाम बाजार में बेच दिया गया। उसे सबसे पहले एक व्यापारी ने खरीदा था और इसके बाद उस व्यापारी ने ऐबक को किसी और के हाथों बेच दिया इस तरह कई व्यापारियों ने ऐबक को अलग-अलग व्यापारियों के हाथों बेचा था और इसी तरह ऐबक काजी फखरुद्दीन अब्दुल अज़ीज़ फोकरी नामक व्यक्ति के पास पहुंचा। और यहां कुतुबुद्दीन ऐबक ने तीरंदाजी घुड़सवारी युद्ध कला और प्रशासनिक काम सीखना शुरू किया उसकी ईमानदारी और वफादारी को देखकर हर कोई उससे प्रभावित होता था।
कुतुबुद्दीन ऐबक को किसने खरीदा और किसने बेचा?
इतिहासकार बताते हैं कि कुतुबुद्दीन ऐबक को पहले कुछ अरब व्यापारियों ने खरीदा था और अंत में काजी फखरुद्दीन अब्दुल अज़ीज़ फोकरी नामक व्यक्ति ने खरीदा था। और फिर काजी फखरुद्दीन ने ऐबक को शिक्षा और युद्ध कला सिखाई थी और बाद में काजी फखरुद्दीन ने को मोहम्मद गौरी के हाथों बेच दिया और यहीं से ऐबक के जीवन की नई शुरुआत हुई।
मोहम्मद गौरी कौन था?
मोहम्मद गौरी का पूरा नाम शहाबुद्दीन मुहम्मद गौरी था। और उसका जन्म 1149 ई के अफगानिस्तान के गौर प्रांत में हुआ था। मोहम्मद गौरी कोई बड़े शासक परिवार से नहीं था बल्कि वह एक गौर राजवंश के शासक का छोटा भाई था।
कुतुबुद्दीन ऐबक और मोहम्मद गौरी की मुलाकात।
काजी फखरुद्दीन ने ऐबक को मोहम्मद गौरी के हाथों बेच दिया था तभी से कुतुबुद्दीन ऐबक मोहम्मद गौरी की सेवा में लग गया। मोहम्मद गौरी ने ऐबक की काबिलियत को जल्द ही पहचान लिया और ऐबक की ईमानदारी, युद्ध शक्ति और प्रशासनिक कौशल को देखकर मोहम्मद गौरी ने उसे अपना सेनापति बना लिया।
मोहम्मद गौरी का भारत में प्रवेश
मोहम्मद गौरी ने अपने गौर वंश का विस्तार करने के लिए उसने भारत में कई बार आक्रमण किए थे। सबसे पहले उसने मुल्तान और सिंह पर कब्जा किया और फिर उसकी नजर भारत की संपन्न भूमिका पड़ी। 1191 ईस्वी में उसने तराइन के मैदान में राजा पृथ्वी राज चौहान से युद्ध लड़ा और इस युद्ध में उसे हार मिली। लेकिन 1192 ईस्वी में फिर से तराइन के मैदान में दूसरा युद्ध हुआ इसमें मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराकर उत्तरी भारत में अपनी सत्ता स्थापित कर ली।
Note. कुतुबुद्दीन ऐबक मोहम्मद गौरी का भरोसेमंद गुलाम व सेनापति था और मोहम्मद गौरी की मृत्यु के पश्चात ऐबक ने अपने आप को स्वतंत्र घोषित कर लिया। और फिर वह दिल्ली सल्तनत की गद्दी पर बैठ गया।
निष्कर्ष
कुतुबुद्दीन ऐबक भारतीय इतिहास में उस शासक के रूप में जाना जाता है जिन्होंने एक गुलाम से उठकर दिल्ली सल्तनत का संस्थापक बनने तक का सफर तय किया। और इस प्रकार कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 ईस्वी में गुलाम वंश की स्थापना की जिसने आगे चलकर भारतीय इतिहास में लगभग 84 वर्षों (1206 से 1290 ई) तक शासन किया।
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