गुलाम वंश का अंतिम शासक कौन था - संपूर्ण जानकारी

 

Shamsuddin Kayqubad – गुलाम वंश का अंतिम शासक | Delhi Sultanate
शमसुद्दीन कैकूबाद, गुलाम वंश का अंतिम शासक था, जिसकी मृत्यु 1290 ईस्वी में हुई और इसके साथ ही दिल्ली सल्तनत में खिलजी वंश की शुरुआत हुई।

गुलाम वंश जिसे ममलुक वंश भी कहा जाता है। यह वंश दिल्ली सल्तनत का प्रथम वंश था, और इस गुलाम वंश का शासन काल 1206 ई से 1290 ई तक चला। इस वंश नींव कुतुबुद्दीन ऐबक ने रखी थी, जो मोहम्मद गौरी का गुलाम था और बाद में वह मोहम्मद गौरी का सेनापति बन गया था। मोहम्मद गौरी की मृत्यु के पश्चात कुतुबुद्दीन ऐबक ने खुद को शासक घोषित कर लिया और दिल्ली सल्तनत की शुरुआत की।

गुलाम वंश का शासन काल लगभग 84 वर्षों तक चला और इस दौरान गुलाम वंश में कई शासक बने जिनमें से इल्तुतमिश को सबसे सक्षम और संगठित शासक माना जाता है, और इसी गुलाम वंश के शासनकाल में रजिया सुल्तान दिल्ली सल्तनत की पहली महिला शासक बनी थी। जिन्हें आज भी उनकी बहादुरी और प्रशासनिक क्षमता के लिए याद किया जाता है।

गुलाम वंश का अंतिम शासक

गुलाम वंश का अंतिम शासक शमसुद्दीन कैकूबाद था। जिसने 1287 ईस्वी में गद्दी संभाली थी, समसुद्दीन कैकूबाद बलबन का पोता और नसरुद्दीन बुगरा खान का पुत्र था। जो सिंहासन पर बैठने के बाद शासन की गंभीर जिम्मेदारियों को संभालने के बजाय वह विलासिता और आराम में अधिक समय बिताने लगा। उसकी कमजोर नीति और दरबारी षडयंत्रों ने उसे असफल बना दिया।

गुलाम वंश का पतन

समसुद्दीन कैकू बाद के शासनकाल में उसके दरबार के मंत्री और सेनापतियों की शक्तियां बढ़ गई थी, क्योंकि शमसुद्दीन कैकूबाद अपना समय विलासिता और आराम करने में व्यतीत करता था जिसके वजह से उसके सेनापतियों और मंत्रियों ने शक्तियां अपने हाथों में ले ली थी, जिसकी वजह से वह आपस में ही एक दूसरे के विरुद्ध लड़ने लगे थे। और इसी बीच खिलजी वंश के शासक जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने अवसर का लाभ उठाया और 1290 ईस्वी में समसुद्दीन कैकूबाद की हत्या कर दी।

और इसके साथ गुलाम वंश का अंत हो गया और दिल्ली की सत्ता खिलजी वंश के हाथों में चली गई। इस प्रकार गुलाम वंश का अंतिम शासक समसुद्दीन कैकुबाद था। 

निष्कर्ष

गुलाम वंश दिल्ली सल्तनत की नींव रखने वाला पहला वंश था। इस गुलाम वंश में बलबन और इल्तुतमिश जैसे सक्षम शासको ने शासन किया था। लेकिन अंतिम शासक समसुद्दीन कैकूबाद अपनी विलासिता और कमजोर शासन के कारण विफल साबित हुआ और इसका नतीजा यह हुआ की 1290 ईस्वी में खिलजी वंश ने दिल्ली सल्तनत की सत्ता अपने हाथ में ले ली। 

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